Rajasthan Agriculture JET (2024) Syllabus – Agri, Bio, Chemistry, Math

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UNIT A Agriculture Syllabes

खाद्य उत्पादन और अर्थव्यवस्था और पोषण सुरक्षा में इसका महत्व ।

> भारतीय कृषि का इतिहास, शाखाओं, महत्व और गुंजाइश।

> मौसम और जलवाय - परिभाषा, तत्व, फसलों पर प्रभाव,

> सामान्य मौसम संबंधी उपकरणों का परिचय वर्षा गेज, अधिकतम न्यूनतम थर्मामीटर सखा और गीला हाइग्रोमीटर, विंड वेन और एनेमोमीटर।

> सिंचाई - आवश्यकता, समय और मात्रा, सिंचाई के तरीके।

> परिशुद्धता और दबाव सिंचाई की अवधारणा ड्रिप और स्प्रिंकलर सिंचाई।

> खरपतवार नियंत्रण (यांत्रिक, रासायनिक और जैविक), शुष्क कृषि परिभाषा, महत्व और सिद्धांत।

> फसल चक - परिभाषा, महत्व और सिद्धांत।


मृदा (Soil): >

> मिटटी - परिभाषा, रचना, संरचना, बनावट, मृदा जल, वायु, मृदा तापमान, मृदा रन्ध्रावकाश और इसे प्रभावित करने वाले कारक।

> लवणीय, अम्लीय और क्षारीय मृदाएं और उनका प्रबंधन।

> राजस्थान की मृदाएं।

> मिट्टी के नमूने और इसके तरीके।

> मृदा का पीएच और जैविक कार्बन ।

> पोषक तत्व उर्वरक आवश्यक पोषक तत्व, महत्व और कमी के लक्षण, उर्वरक का महत्व प्रकार और उपयोग के तरीके।


सिंचाई प्रबंधन (Irrigation Management)

> सिंचाई का महत्व, सिंचाई के स्त्रोत, फसलों की पानी की आवश्यकता।

> जल निकासी-परिभाषा, आवश्यकता, महत्व, जल जमाव, जल संरक्षण और विधियों की आवश्यकता। (रिचार्ज, वाटर हार्वेस्टिंग)।

> कृषि मशीनरी का परिचय- परिभाषा और जुताई, देसी प्रकार का हल, हैरो, कल्टीवेटर, हार्वेस्टर, बीज उर्वरक सह

ड्रिल, बोने की मशीन, एमबी हल। >

> बीज- परिभाषा, प्रकार और बीज की गुणवता, बीज उत्पादन, बीज की खुराक।


सस्य विज्ञान (Agronomy)

> परिभाषा, महत्व और कार्यक्षेत्र, मिट्टी की उर्वरता और उत्पादकता- मिट्टी के क्षरण को प्रभावित करने वाले कारक और संरक्षण।

> फसल उत्पादन - राजस्थान जलवायु में स्थिति के तहत निम्नलिखित फसलों का अध्ययन ।

> वानस्पतिक नाम, परिवार, महत्व, जलवायु, मिट्टी, क्षेत्र की तैयारी, उन्नत किस्में, बीज दर, बीज उपचार, बुआई का समय, बुवाई विधि, खाद और उर्वरक, सिंचाई, इंटरकोपिंग प्लांट संरक्षण और कटाई, श्रेशिंग। उपज और कटाई के बाद प्रबंधन करना।

> अनाज - चावल, मक्का, ज्वार, बाजरा, गेंहूँ और जौ।,

> दालें - उड़द, मूंग, मोठ, चना, अरहर और लोबिया।

> तिलहन - सरसों और रेपसीड, मूंगफली, सोयाबीन, अलसी और सूरजमुखी।

> चारा-लुसर्न और बरसीम नगदी फसलें गन्ना, आलू, और ग्वार,

> फाइबर (रेशेदार) फसल कपास और सनई


जैविक खेती (Organic Farming)

> जैविक की परिभाषा, महत्व, अवधारणा, इतिहास, वतमान स्थिति और भविष्य।

> राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था में योदागदान, महत्वपूर्ण खाद्य उत्पाद।

> जैविक खाद और उनकी उपयोगिता, फार्म यार्ड खाट'

> जैव-उर्वरक - उपयोग के प्रकार और तरीके। -

> कीट और रोगों के जैविक नियंत्रण।

> जैव-पेस्टीसाइड बनाने के तरीके (पौधे आधारित) सस्टेनेबल एग्रीकल्चर का सामान्य परिचय


UNIT B- (Horticulture) 

सामान्य उद्यान विज्ञान > फलों और सब्जियों फसलों का महत्व और दायरा, वर्तमान स्थिति और भविष्य । >

> बाग प्रबंधन- साइट का चयन, योजना, गड्ढे भरने, वृक्षारोपण, प्रतिकूल मौसम की स्थिति-ठंढ, गर्म हवा, आदि। »

> ओलावृष्टि, सूखा, धूल भरी आधी, भारी वर्षा का फसलों परभाव व इनके बचाव का उपाय। महत्वपूर्ण फलों की फसलों का अध्ययन निम्नानुसार >

> वानस्पतिक नाम, परिवार, महत्व, जलवायु, मिट्टी, उन्नत किस्में, पौधे का प्रसार, रोपण, खाद और उर्वरक, सिंचाई, निराई और बचाव । >

> पैदावार और पौधो की सुरक्षा आम, साइट्रस (नारंगी और लाइम), केला, अमरूद, अनार, पपीता, अंगूर, आँवला, बेर, खजूर, और बेल।

> सब्जिया- मौसम व सब्जी के हिस्सों के उपयोगके आधार पर सब्जियों का वर्गीकरण। >

> सब्जियों के लिए खेती के प्रकार वाणिज्यिक और रसोई बागवानी । >

> नर्सरी- परिभाषा, महत्व, मिट्टी की तैयारी और लेआउट, बुवाई, रोपाई, पौधे का प्रसार लैंगिक व अलैंगिक।

> सब्जियों की खेती-वानस्पति का नाम, परिवार, महत्व, जलवायु, मिट्टी और खेत की तैयारी, बुवाई, बीजदर और उपचार - उन्नत किस्में, खाद और उर्वरक, सिंचाई निराई और गुड़ाई, पौध संरक्षण। उपज टमाटर, बैंगन, मिर्च, फूलगोभी, गोभी, मटर, भिंडी, गाजर, मूली, पालक, प्याज, लहसुन,

> गोल लौकी, करेला, लौकी, तुरई, कदू।

> सजावटी बागवानी - उद्यान का प्रकार (औपचारिक व अनौपचारिक), निजी, सार्वजनिक और स्कूल उद्यान, >

> सजावटी पौधो का अध्ययन पेड़, झाडी। कलाइम्बर्स और मौसमी फूल।

> फूलों की खेती - वानस्पतिक नाम, महत्व, जलवायु, मिट्टी, क्षेत्र तैयारी, पौधे के प्रसार, उन्नत किस्मों, रोपण, खाद और उर्वरक, देखभाल, तुडाई और उपज। गुलाब, गेंदा, गुलदाउदी और ग्लेडियोलस।

> मसाले- जीरा, धनिया, मेंथी और सौंफ।

> औषधीय पौधे की उपयोगिता और परिचय- सफेद मुसली, जेट्रोपा, सनाय, इसबगोल, तुलसी और गिलोय।

> मशरूम - इसकी पौष्टिक स्थिति और उत्पादन के तरीके।

> मधुमक्खी पालन और इसका महत्व, शहद का उपयोग, मोम और शाही जेली का महत्व,

> कटाई उपरांत - कटाई के बाद का महत्व, कार्यक्षेत्र और भविष्य फलों, सब्जियों और फलों का प्रबंधन। हमारे देश की खाद्यय प्रसंस्करण की स्थिति।

> पैकेजिंग, निर्यात सहित गुणवत्ता का मानक एवं उनका विपणन ।

> फल और सब्जी का संरक्षण वर्तमान फल और सब्जी संरक्षण, सिद्धांत और फल संरक्षण के तरीके।

> फलों और सब्जियों की डिब्बाबंदी, जैम, जैली, मुरब्बा, संरक्षित, सॉस, केचप, अचार और स्क्वैश।

> फूल और उनकी कटाई महत्वपूण प्रसंस्करित फूल उत्पाद, पैकेजिंग, भंडारण और उनका विपणन।


UNIT C: पशुपालन

• भारतीय अर्थव्यवस्था में पशुधन का महत्व। दांत, सींग, खुर और शरीर द्वारा आयु का निर्धारणकरना।

- पशुओं की स्थिति और वजन शेफर फार्मूला का उपयोग करके ज्ञात करना। - 

• पशु प्रजनन - गर्मी की पहचान, प्रजनन अंगों, प्राकृतिक और कृत्रिम गर्भाधान का परिचय।

• गर्भावस्था का सामान्य परीक्षण- गर्भवती और ब्याने वाले जानवरों का प्रबंधन। +

पशु पोषण - पशु आहार का सामान्य सिद्धांत, गर्भवती और दूध देने वाली गाय और बेल के लिए फीड का निर्धारण।

• फीड संरक्षण - 'हे और साइलेज परिभाषा, महत्व, बनाने की विधि।

• पशु स्वास्थ्य - स्वस्थ और पीड़ित पशु की पहचान। सामान्य रोग और उपचार की पहचान

• करना - घाव, एक्जिमा, मोच, खुजली, सूजन, अपच, ब्लोट, दस्त, पेचिश और फूड पॉइजनिंग।


परजीवी-और किलनी।

• पशुओं के लिए सामान्य दवाईया और उनकी उपयोगिता -फिनाइल, पोटेशियम परमैंगनेट, मैग्नीशियम सल्फेट, एल्कोहल, कॉपर सल्फेट, टिन्चर, आयोडीन, कार्बोक्जिलिक एसिड, लाइजोल, अरंडी का तेल, कपूर, फेनोविस, फिटकरी, टर्पेन्टाइन ऑयल ।

दूध दोहने की विधियाँ - हाथ और मशीन द्वारा

पोल्ट्री : महत्व और कार्यक्षेत्र, मुर्गी की नस्ले और उनका वर्गीकरण।

• पॉल्ट्री निम्न नस्लों का अध्ययन व्हाइट लेगॉर्न, रॉड आइलैंड रेड, रेड कारनिश, प्लाई माउथ रॉक ब्रीड्स।

अंडा की संरचना।

पॉल्ट्री की महत्पवूपर्ण बिमारियां कारण, लक्षण और उपचार। +

निम्न पशु नस्लों की विशेषताएँ और उनकी उपयोगिता -

• गाय - गिर, थारपारकर, हरियाणा, नागौरी, मालवी, मेवाती, राठी, जर्सी और हॉलस्टीन फ्रेशियना

भैंस - मुर्रा, भदावरी, सुरती, नील, जाफराबादी, और मेहसाणा।

भेड़ - मारवाड़ी, चोकला, मालपुरी, मेरिनो, कारकुल, अविवस्त्र, अविकालीन और जैसलमेरी।

ऊंट - बीकानेरी और जैसलमेरी, ऊंट का प्रबंधन करना।

ओं के प्रमुख रोग - रिन्डरपेस्ट, खुरपका और मुंहपका रोग, ब्लैक क्वाटर, एंथ्रेक्स. रक्तस्त्रावी सेप्टीसीमिया, धनैला, टिक ज्वर, दूध ज्वर, एन्टेरोक्जिमिया, ट्रिपैनोसोमा और खुजली।


डेयरी विज्ञान -

 दूध और दूध से बने पदार्थ- दही और घी।

• भारत में डेयरी विकास श्वेत क्रांति और ऑपरेशन फ्लड़।


Biology (जीव विज्ञान)

भाग-1. वनस्पति विज्ञान (Botany)

यूनिट -1. जीवन की इकाई (Unity of Life)

1 • शिका का संरचनात्मक संगठन, कोशिका की अतिसूक्ष्मदर्शी संरचना (बनावट)

• केरियोटिक व यूकैरियोटिक कोशिका, पादप व जीव कोशिकाः ।

• कोशिकांगों की संरचना एवं उनके कार्य-केन्द्रक (डी.एन.ए. व आर.एन.ए. की संरचना सहित), केन्द्रिका, माइटोकॉन्ड्रियां, लवक (क्लोरोप्लास्ट), अन्तःप्रद्रव्यी जालिका, गॉल्जीकाय, लाइसोसोम, सदमकणिकाएँ, सूक्ष्मांगे (माइक्रोबॉडीज), राइबोसोम, तारक केन्द्र, कोशिका भित्ति, पक्ष्माभ व शाभिका रिक्तिकाएं, कोशिका का स्टार्च कणों एवं खनिज पदार्थों के साथ समावेश..

• कोशिका विभाजन- असूत्री विभाजन, समसूत्री विभाजन एवं अर्द्धसूत्री विभाजनः समसूत्री व अर्द्धसत्री विभाजन में अंतर, अर्द्धसूत्री विभाजन का महत्व, कोशिका चक्र।

2. जीवन की निरंतरता (Continuity of Life)- आनुवंशिकी एवं मेण्डलवाद

• मेंडल और मटर के साथ प्रयोग इसके सफलता के कारण;

• रमेंडल के वंशागति नियम; एकल व द्वि-संकरण संकर;

3 गणसूत्र- संरचना व आकारिकी, गुणसूत्र व जीन, गुणसूत्र की परिकल्पना, सहलग्नता व क्रोसिंग ओवर, उत्परिवर्तन, लिंग निर्धारण, आनुवांशिक कोड़, अनुलेखन व अनुवाद।

3. पादप कार्यिकी/शरीरक्रिया विज्ञान (Plant Physiology) →

• पादप-जल संबंध, अर्द्ध-पारगम्य झिल्ली, परासरण, विसरण, प्रसार दबाव न्यूनता (डी.पी.डी): जलविभव, प्लाज्मोलाइसिस;

• वाष्पोत्सर्जन- इसके प्रकार, वाष्पोत्सर्जन को प्रभावित करने वाले कारक, बिन्दुस्ताव;

• जल का अवशोषण, अवशोषण अवयव के रूप में जड़, जल व खनिज पदार्थों का सक्रिय व निष्क्रिय अवशोषण;

• रसारोहण (एसेन्ट ऑफ सेप):- रसारोहण का मार्ग (पथ), रसारोहण की क्रियाविधि एवं इसके लिए सिद्धान्त,

• खनिज पोषण- खनिजों का पादप वृद्धि में महत्त्व, पोषक तत्त्वों की अनिवार्यता; पादप वृद्धि के लिए वृहत् व सूक्ष्म पोषक तत्व, अतिसूक्ष्म पोषक तत्व,

• एन्जाइम:- परिचय, जैव उत्प्रेरकों के रूप में एन्जाइम, प्रकृति, एन्जाइमा का वगाकरण

• श्वसन- परिभाषा, श्वसन व दहन में अंतर, श्वसन के प्रकार वायुवीय, अवायुवीय, व किप्वन प्रक्रिया, श्वसनीय पदार्थ, श्वसन गुणांक (आर. क्यू.): श्वसन का स्थान; वायुवीय व अवायुवीय श्वसन की क्रियाविधियाँ- ग्लाईकोलाइसिस; क्रेब्स चक्र और एल्कोहल किण्वन; इलेक्ट्रॉन परिवहन श्रृंखला और प्रकाशीय फॉस्फोरिलिकरण; ऊर्जा फल/उपज (किलो कैलोरी); श्वसन को प्रभावित करने वाले कारक;

• प्रकाश संश्लेषण- परिभाषा, जल के कार्य, क्लोरोफिल, कार्बन-डाई-ऑक्साइड, प्रकाशिक एवं अप्रकाशिक अभिक्रियाएं: प्रकाश फोटो-फॉस्फोरिलिकरण (चक्रिय एवं अचक्रिय), हिल अभिक्रिया; रेड ड्रॉप; दो वर्णक तंत्रः केल्विन चक्र प्रकाश श्वसन, रसायनिक संश्लेषण (संक्षिप्त में), प्रकाश संश्लेषण को प्रभावित करने वाले कारक;

• पादप वृद्धि-परिभाषा. वद्धि के विभिन्न चरण पादप हार्मोन (ऑक्सिन, जिब्बेरेलिन्स साइटोकिनिन्स, इथाइलिन); वृद्धि दर, शरीर कार्यिकीय की क्रियात्मक प्रक्रिया, वृद्धि को प्रभावित करने वाले कारक,

• बसंतीकरण और प्रकाश दीप्तिकालिता (फोटोपिरिडिज्म);

• पादप गतियाँ- पादप गतियों के विभिन्न प्रकारों का संक्षिप्त विवरण उदाहरण सहित।


यूनिट -2

4. पर्यावरणीय जीव विज्ञान (Environmental Biology)

• पारिस्थितिकी व पर्यावरण की परिभाषा: पर्यावरणीय कारक जलवायु, मृदीय कारक (एडेफिक), जैविक व अजैविक, पादप समुदाय व इसकी विशेषताएं (घनत्त्व, आवृत्ति और पर्याप्तता)

• : जल सम्बन्ध के आधार पर पादप अनुकूलन- जलोदभिद, जीरोफाइट्स, लवणोदभिद, मीजोफाइट्स, हाइड्रोफाइट्स आदि, पर्यावरण व जीवों के मध्य पारस्परिक अन्तःक्रियाएँ:

• पारिस्थितिकी तंत्र- अवधारणा, पोषण स्तर- उत्पादक, उपभोक्ता व अपघटक, खाद्य श्रृंखला व खाद्य जाल: पारिस्थितिकी पिरामिड

२, पर्यावरण प्रदूषण- वायु व जल स्त्रोतों के प्रमुख प्रदूषक, प्रदूषण के प्रभाव व प्रदूषण को रोकने के उपाय (नाभिकीय विघटना व अपशिष्ट व्यवस्था): ध्वनि प्रदूषण: स्त्रोत एवं इसका प्रभाव;

• प्राकृतिक संसाधन- परिचय, इनका संरक्षण, बेकार (क्षय) भूमि अवशेष व उनका सुधार; वन संरक्षण, वन्य जीव विलुप्त होने के कारण, वन्य जीवों का संरक्षण व लुप्तप्रायः प्रजातियों की अवधारणा (रेड डेटा बुक), भारतीय उदाहरणों के द्वारा।

यूनिट -3

5. वनस्पति विज्ञान एवं मानव कल्याण (Botany & Human welfare)

• घरेलू पादपों की ऐतिहासिक जगह, फसलों को सुधारने की प्रमुख विधियाँ पादप प्रजनन एवं पुरःस्थापनः जैव उर्वरकों के उपयोग; आर्थिक व पारिस्थतिक पहलू पेस्टीसाइड्स के लाभ एवं दुष्प्रभावः

• आर्थिक वनस्पति विज्ञान (Economic Botany):- निम्न पादपों के वानस्पतिक नाम, कुल, पौधों का उपयोग एवं उपयोगी भाग.

1. धान्य फसलें (Cereals):- गेहूँ एवं चावल;

2. मिलेट्स (Millets):- बाजरा एवं ज्वार:

3. दलहनी (Pulses):- चना, उड़द एवं मूंग;

4. रेशेवाली फसलें (Fibres):- कपास व सनई या सनः

5. तेलवाली फसलें (Oilseeds): - मूंगफली, सरसों व अरण्डी:

6. शर्करावाली फसल (Sugar Crop):- गन्ना;

7. फल (Fruits):-आम व केला;

8. औषधीय पादप (Medicinal plants):- गूगल, सर्पगन्धा, बैलाडोना, अफीम एवं ईसबगोल।


भाग-2. जन्तु विज्ञान (Zoology)

1. अपृष्ठवंशी/अकशेरूकी (Invertebrates) -

• जंतुओं का विवरण एवं कृषि के संदर्भ में इनका आर्थिक महत्व

1. प्रोटोजोआ:- अमीबा

2. हैल्गिन्धीजः- भूमि सूत्रकृमि

3. एनीलिडा:- केंचुआ

4. प्लेटिहैल्मिन्थीज:- यकृतकृमि

5. मौलस्का-घोंघा एवं स्लग

6. आर्थोपोडा (विभिन्न वर्ग):-

(1) एरेक्निडा:- बरूथी;

(2) क्रस्टेशिया- झींगा व लोबस्टरस्;

(3) डिप्लोपोड़ा-मिलिपीड/सहस्त्रपाद

(4) काइलोपोडा सेन्टीपीड/गोजर;

(5) इन्सेक्टा- कॉकरोच (तिलचट्टा);

2. फसलों एवं भण्डारण के प्रमुख कीट Important Insects of Crops & Storage)

• सामान्य परिचय; महत्त्व, पोषक पौधे; क्षति, जीवन चक्र एवं इनका नियन्त्रण:-.

(1) कातरा

(2) सफेद लट

(3) दीमक

(4) टिड्डी

(5) फल एवं फली छेदक

(6) खपरा बीटल।

3. कीट नियंत्रण की विधिया (Methods of Insect Control)

• कीट नियन्त्रण:- सामान्य परिचय

1. भौतिक एवं यांत्रिक नियन्त्रण

2. कर्षण द्वारा नियन्त्रण

3. रासायनिक नियन्त्रण:- नाशीजीव रसायनः कीटनाशी एवं इनको तैयार करना, कीटनाशियों का वर्गीकरण; बरूथीनाशी; सूत्रकृमिनाशी: कन्तकनाशी: कीटनाशी रसायनों का सुरक्षित उपयोग;

4. जैव-नियन्त्रण:- कीटों के प्राकृतिक शत्र परजीवी. परभक्षीः फेरोमोन टेप, टाईकोडमा, ट्राईकोगामा, एन.पी.वी., पादप जैव कीटनाशी


• समाकलित नाशक कीट प्रबंधन. -

• छिड़काव व भुरकाव यंत्र. नैपसेक स्प्रेयर, हैण्ड व रोटरी डस्टर।

4. पृष्ठवंशी/कशेरूकी प्राणी (Vertebrates)

1. पृष्ठवंशी प्राणियों में पोषणः- भोजन के प्रमुख पोषक तत्त्व, उर्जा देने वाले रासायनिक यौगिक; खनिज एवं

विटामिन्स, संतुलित आहार

2. प्राणियों में श्वसनः- गैसीय विनिमयः

3. प्राणियों में परिसंचरण:- रक्तः संरचना, रक्त समूह, आर. एच. फैक्टर, थक्का जमना;

4. जनन तंत्र:- नर एवं मादा जनन तंत्र;

5. जनन एवं विकास/परिवर्धन:- निम्न प्रकार से

(1) प्राणियों में अलैंगिक एवं लैंगिक जनन

(2) युग्मकजनन; शुक्रजनन; शुक्राणु की संरचना; अण्ड जनन एवं अण्डों के प्रकार; मादा जनन चक्र

(3) निषेचनः बाह्य तथा आन्तरिक निषेचन

(4) निषेचन की क्रियाविधि

• मधुमक्खी पालन; रेशमकीट पालन; लाख कीट पालन- संक्षिप्त विवरण।

रसायन विज्ञान (Chemistry)

भाग-1: अकार्बनिक रसायन (Inorganic Chemistry)

यूनिट -1

1. परमाणु संरचना (Structure of Atom)

• परमाणु के क्लासिक मॉडल का विकास;

• बोर का परमाणु मॉडलः इलेक्ट्रॉन में बोर कक्षाओं की त्रिज्या और ऊर्जा की गणनाः ।

• द्रव्य एवं विकिरण की द्वैत प्रकृतिः- इलेक्ट्रॉनिक ऊर्जा स्तरों का वितरण (बोहर-बरी योजना स्पेक्ट्रल प्रमाण का परिमाणीकरण

• सोमरफील्ड द्वारा बोर के मॉडल का विस्तार (बिना किसी गणितीय व्यवहार के); -डी-ब्रॉग्ली सम्बन्ध; अनिश्चितता का सिद्धांत;

• कक्षाए आर क्वान्टम संख्याएँ: कक्षाओं का आकार परमाणु कक्षाओं का स्थानिक वितरण; अतिरिक्त परमाणु इलेक्ट्रॉनों का वितरण;

• ऑफबोऊ सिद्धांत; पॉउली का अपवर्जन सिद्धांत; हुन्ड का नियम; n+1 (एन+एल) का नियम परमाणु संख्या में वद्धि के साथ कक्षाओं के सापेक्ष ऊर्जा में भिन्नता, s, p.d, f ब्लॉक के तत्वों का इलेक्ट्रॉनिक विन्यास, आधे एवं पूर्ण भरे हुये कक्षाओं की स्थिरता।


2. आवर्त सारणी एवं गुणों में आवर्तिता (Periodic Table & Periodicity in Properties)

• इलेक्ट्रॉनिक विन्यास और आवर्त सारणी: आवर्त सारणी का दीर्घ रूप व मॉडल और s, pdf ब्लॉक के तत्व,

• मेण्डलीफ आवर्त सारणी के गुण-दोष: इलेक्ट्रॉनिक विन्यास और गुणों में आवर्तिता आवर्त के परिपेक्ष्य में

• आवर्तिता के भौतिक एवं रासायनिक गुणों का विस्तृत अध्ययन तत्त्वों का घनत्त्व, तत्वों का क्वथनांक व जमाव बिन्दुः परमाणु एवं आयनिक त्रिज्या, आयनीकरण विभव/क्षमता, इलेक्ट्रॉन बन्धुता, विद्युत ऋणात्मकता: आर्वत के प्रभावी नाभिकीय आवेश में विभिन्नता, धात्विक विशेषताएँ, विकर्ण सम्बन्ध।


3. रासायनिक बंध एवं आण्विक संरचना (Chemical Bonding & Molecular Structure)

• लुईस संरचना:- ऑक्टेट नियम व इसकी सीमाएं

• आयनिक बंध-आयनिक यौगिकों के लक्षण, आयनिक यौगिकों की विलेयता

• सहसंयोजक बंध- कक्षाओं और बंध की ओवर लेपिंग परिच्यात्मक अवधारणा; संयोजक बंध सिद्धांत सहसंयोजक यौगिकों के लक्षण; संयोजन बंध, आयनिक बंध में आंशिक सहसंयोजक बंध के लक्षण; सहसंयोजक बंध में आंशिक आयनिक बंध के लक्षण; फजान का नियम, सहसंयोजक अणुओं की ध्रुवता

• बंध लम्बाई, बंध कोण एवं बंध ऊर्जा की सामान्य जानकारी:

• आवर्त सारणी के प्रथम एवं द्वितीय पंक्ति के तत्वों का कक्षीय संकरण उदाहरण के साथ;

• सामान्य अणुओं की आकृति:-VSEPR सिद्धांत;

• हाइड्रोजन बंध, वन्डर-वाल बलों का आकर्षण।

4. ऑक्सीकरण-अपचयन (Redox reaction)

• आयनों पर सामान्य आवेश की अवधारणा; ऑक्सीकरण अंक (संख्या); ऑक्सीकरण-अपचयन में इलेक्ट्रॉन स्थानांतरण की अवधारणा उदाहरण के साथ; रिडॉक्स अभिक्रिया (उदाहरण के साथ);

आयन-इलेक्ट्रॉन विधि द्वारा अभिक्रियाओं में संतुलन।

5. रासायनिक साम्य (Chemical Equilibrium)

• क्रिया-प्रतिक्रिया साम्य स्थिरांक की अवधारणाः

• द्रव्यानुपाती क्रिया का नियमः सामान्य अभिवृत्ति; द्रव्यानुपाती नियम के सत्यापन के लिए प्रयोगात्मक विधि, साम्य को प्रभावित करने वाले कारक (सान्द्रता, दाब व तापमान):

N2+3H24-2NH3; PCIsPCI3 + Cl2; N2 + 02-2NO अभिक्रियाओं में साम्य तंत्र का उपयोग;

• ली-शातालिए का नियमः केवल उपयोग।

6. रासायनिक गतिकी (Chemical Kinetics)

• अभिक्रिया की दर; अभिक्रिया की तात्कालिक दर और अभिक्रिया की श्रेणीयाँ (शून्य व प्रथम ऑर्डर);

• अभिक्रिया की दर को प्रभावित करने वाले कारक; क्रियाकारक (Reactant) अणुओं की सान्द्रता, अभिक्रिया दर पर तापमान का प्रभाव, सक्रियण उर्जा की अवधारणा, अभिक्रिया दर पर प्रकाश का प्रभाव, रासायनिक अभिक्रियाओं की गति कैसे बढ़ती है।

7. आयनिक साम्य (lonic Equilibria)

• वैधुत अपघट्य एवं वैधुत अन-अपघट्यः परिचयः

• अरहीनियस सिद्धान्त विद्युत अपघटनी वियोजन के प्रमाण के बारे में,

• जल का आयनिक गुणनफल;

• जल अपघटन; जल अपघटन की मात्रा एव अपघटन स्थिरांक

• जल के आयनिक गुणनफल, अपघटन स्थिरांक एवं वियोजन स्थिरांक के मध्य सम्बन्ध

• आयन प्रभाव, विलेयता गुणनफल (उत्पाद) व गणात्मक विश्लेषण के लिए इसके अनुप्रयोग।

8. अम्ल एवं क्षार (Acids and Bases)

• जलीय विलयन में हाइड्रोजन व हाइड्रोक्सिल आयनः

• अम्ल एवं क्षार के लिए ब्रॉन्सटेड-लॉरी अवधारणा (प्रोटॉन विनिमय सिद्धांत);

• लईस का सिद्धांत (अवधारणा); अम्लों का वियोजन

• पी.एच. (pH) मान एवं बफर विलयन

• अम्ल-क्षारीय अनुमापन के लिए सूचकों की अवधारणा; सूचकों का चयन।

9. ऊष्मागतिकी (Energetics)

• रासायनिक अभिक्रिया के दौरान ऊर्जा परिवर्तन, आंतरिक ऊर्जा और एन्थेल्पी (आंतरिक ऊर्जा, एथैल्पी या एन्थैल्पी परिवर्तन, अभिक्रिया में एन्थैल्पी परिवर्तन की उत्पत्ति.

• कैस का नियम- स्थिर ऊष्मा संकलन का नियम ।

• अभिक्रिया ऊष्मा (उदासीनीकरण ऊष्मा. दहन ऊष्मा, गलन की ऊष्मा और वाष्पीकरण ऊष्मा) रासायनिक अभिक्रिया में स्वतः परिवर्तन की दिशा क्या निर्धारित करती है (एन्ट्रॉपी और मक्त ऊर्जा परिवर्तन का सामान्य ज्ञान)।

यूनिट-2

10. पदार्थों की कोलॉइडल अवस्था (Colloidal State of Matter)

• क्रिस्टलाभ और कोलॉइड, कोलॉइड्स का वर्गीकरण, पायस, कोलाइड़ों की संरचना, लायोफिलिक और लायोफोबिक कोलाइड्स

• कोलॉइडी कणों के गुण:- वैद्युत कण संचलन, अपोहन, टिंडल प्रभाव/घटना, ब्राउनी-गति, स्कंदनः- हार्डी और शुल्ज का नियम, पेष्टीकरण, अवशोषण के अनुप्रयोग।


11. धातुएं (Metals)

• धातु अवस्था की प्रकृतिः धातुओं में परमाणुओं का संरचनात्मक संकुलन, धातु बंध-संयोजक बंध सिद्धांत,


• प्रकृति में धातुओं की प्राप्ति

• धातु विज्ञान के सामान्य नियमः धातुओं की क्रिया श्रेणी, मानक इलेक्ट्रॉड विभव, धात्विक प्रक्रियाएँ:

• धातुओं का निष्कर्षणः तांबा, चाँदी, एल्युमिनियम और लोहा।


12. 'एस' ब्लॉक तत्व ('s'-Blockelements)

• सामान्य विशेषताएं: आवर्त सारणी में क्षारिएँ और एल्काइन भू-गर्भ धातुओं के गुणों में विभिन्नता की प्रवर्ति,

• तत्वों के निष्कर्षण के सामान्य नियम, इनके मिश्रण के सामान्य रासायनिक सूत्र।


13. डी ब्लॉक तत्व ('d'- Blockelements)

• सामान्य विशेषताएं: समचुम्बकीय और विषम चुम्बकीय के बारे में सामान्य विचार, विभिन्न ऑक्सीकरण अवस्थाएं,

• संकरण तत्वों की रसायनः निम्न तत्वों की भिन्न ऑक्सीकरण अवस्थाएं जैसे चाँदी, सोना, क्रोमियम, मैग्नीज, और लोहा।

नोट:- पाठ्यक्रम में शामिल सिद्धान्तों पर न्यूमेरिकल प्रोब्लमस भी शामिल है।


यूनिट -3 कृषि रसायन मृदा -

* मृदा का महत्व, चट्टानें और इसकी अपक्षय, परिभाषा, मृदा के कार्य, मिट्टी की संरचना, मिट्टी की रूपरेखा, पृथ्वी, चट्टानों और प्रकार के लिए एक माध्यम हैं।

खनिज, चट्टानों का अपक्षय और मिट्टी का निर्माण, मिट्टी के गठन के कारक।

मृदा कार्बनिक पदार्थ एवं सूक्ष्मजीव परिभाषा, स्त्रोत, रचना, अपघटन, को प्रभावित करने वाले कारक। कार्बनिक पदार्थ, हुमस, परिभाषा, गुण और गठन, मिट्टी के गुणों व उर्वरता पर कार्बनिक पदार्थों का प्रभाव।

* मृदा सूक्ष्मजीव, C:N अनुपात और नाइट्रोजन चक्र, सहजीवी और गैर-सहजीवी नाइट्रोजन स्थिरीकरण।

मृदा कोलाइड्स - परिभाषा, प्रकार और महत्व, गुण और वर्गीकरण, प्रमुख क्ले खनिज पदार्थ एवं मिट्टी में क्ले का महत्व।

आयन एक्सचेंज - महत्व, धनायन विनिमय का तंत्र, प्रकार।

* धनायन विनिमय क्षमता- परिभाषा, महत्व और कारक प्रभाव, प्रतिशत, आधार, संतृप्ति, अंकुरण और पौधे का पोषण।।

मिटटी की प्रतिक्रिया - DH. PH-स्केल, pH में परिवर्तन ।

* मृदा pH का पोषक तत्वों की उपलब्धता के साथ सम्बन्ध, मृदा pH का सूक्ष्म जीवें, पौधो की वृद्धि और रोगो एवं, मृदा की प्रतिरोधक क्षमता पर प्रभाव।

* अम्लीय और लवणीय मृदाएं- अम्लीय मृदा के निर्माण की परिभाषा, विशेषताएँ, कारण, रासायनिक अम्लीकरण पर अम्लीय का प्रभाव, नमक प्रभावित मिट्टी का वर्गीकरण, और परिभाषा, कारण, लवणीय और सोडिक मिट्टी के निर्माण और गठन के लिए, पौधों पर मिटटी की क्षारीयता और लवणता का प्रभाव, क्षारीय और सोडिक मिट्टी का निदान और इसका पुनर्ग्रहण, सिंचाई के पानी के गुण और खारा पानी का उपचार और प्रबंधन।

पौधों के आवश्यक पोषक तत्व- वर्गीकरण, मिट्टी में पौधों के पोषक तत्वों के स्त्रोत ।

पौधों द्वारा पोषक तत्वों के अवशोषण का तंत्र, पोषक तत्वों की उपलब्धता को प्रभावित करने वाले कारक, विशिष्ट पोषक तत्वों के कार्य और कमी के लक्षण।

मिटटी में विभिन्न उर्वरकों की प्रतिक्रिया और फसलों पर प्रभाव

* उर्वरकों की परिभाषा, वर्गीकरण, गुण, मिट्टी और फसल पर यूरिया, कैल्शियम अमोनियम नाइट्रेट, अमोनियम सल्फेट, डायमोनियम फॉस्फेट, एकल सुपर फॉस्फेट, म्यूरेट ऑफ पोटाश, पोटेशियम क्लोराइड तोराइड और पोटेशियम सल्फेट का प्रभाव।

* एग्रोकेमिकल्स और पर्यावरण प्रदूषण परिभाषा, प्रकार, महत्व, पर्यावरण और पर्यावरण की परिभाषा, प्रदूषण, पर्यावरण प्रदूषण के प्रकार, इसके हानिकारक प्रभाव और नियंत्रण के उपाय, अनियंत्रण का प्रभाव पर्यावरण प्रदूषण (मिट्टी, पानी, हवा) और इसके नियंत्रण पर एग्रोकेमिकल्स का अनुप्रयोग।


Biochemistry (जीव रसायन) -

* पररक्षक - परिभाषा, प्रकार, उपयोग और विशेषताएँ

* खाद्य रंग - परिभाषा, प्रकार, विशेषता और स्वास्थ्य पर प्रभाव। कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, वसा विटामिन और एंजाइम की उपलब्धा के प्रमुख स्रोत।

जैविक खाद और जैव उर्वरक परिभाषा, जैविक खादों का वर्गीरकण, भौतिक, रासायनिक पर जैविक खादों का

प्रभाव और जैविक गुण, गठन विधि, महत्व और फार्म यार्ड खाद के लिए मिट्टी पर प्रभाव, वर्मीकम्पोस्ट, नाडेप

कम्पोस्ट, हरी खाद कैक और मिट्टी में इसका महत्व। जैव उर्वरक - परिभाषा, वर्गीकरण, महत्व और लाभ, उपयोग की विधि, जैविक खाद और उर्वरको के बीच अन्तर।


दग्ध रसायन (Dairy Chemistry)

* दूध और कोलोस्ट्रम परिभाषा, रासायनिक संरचना, पोषक मूल्य, रचना को प्रभावित करने वाल कारक।

* दूध उत्पादों के पोषक मूल्य और रासायनिक संरचना (दही, मक्खन, घी, मलाई, छैना) दूध में मिलावट और उसके परीक्षण के लिए लागू सामग्री।

* दूध प्रसंस्करण विधि, स्वच्छ और परिरक्षक, दूध उत्पादन, बाजार का दूध और इसके प्रकार।


भाग-2 कार्बनिक रसायन (Organic Chemistry)

यूनिट -4

1. कार्बन की संयोजकता एवं संकरण Nalency of Carbon & Hybridisation)

* कार्बन परमाणु की चतु-संयोजकता; केकुले का सिद्धान्त: वांट-हॉफ और ली-बेल का सिद्धान्त, सहसंयोजक बधों

के कक्षीय प्रतिनिधि, बहु बंध (सिग्मा बंध, पाई बंध),

* संकरण (sp, spe, sp3 संकरण); ऐसिटिलीन (एथाइन), एथिलीन और मेथेन की कक्षीय संरचनाः

* बंध लम्बाई, बध सख्या और बंध कोण की अवधारणाः इलैक्ट्रोनेगेटिविटी के प्रेरणिक प्रभाव, सहसंयोजक बंध की ध्रुवत्ता, औपचारिक आवेश, कार्बन की ध्रवत्ता. हैलोजन बंध।


2. संरचना व अभिक्रिया (Structure & Reactivity)

* संधों का विखण्डन, मुक्त कण, कार्बोधनायन व कार्ब ऐनायन आयन कार्बोकैटाइन व काबोनियम (अम्ल और क्षार, अरहीनियस सिद्धान्त, ब्रॉन्सटेड-लॉरी अवधारणा,

* लुईस अवधारणा; न्यक्लियोफिलिक और इलेक्टीफिलिक अभिकर्मक

* कार्बनिक अभिक्रियाओं के प्रकार व उनकी क्रियाविधियाँ प्रतिस्थापन पर्नव्यवस्थित अभिक्रियाएं, मार्कवनिकोव नियम व परॉक्साइड प्रभाव।


3. ताप-अपघटन/पायरोलाईसिस (Pyrolysis)

* पेट्रोलियम एवं पेट्रोरसायन- हाइड्रोकार्बन स्त्रोत के रूप में, पेट्रोलियम की उत्पत्ति, पेट्रोलियम खनन, पेट्रोल का शुद्धिकरण;

पेट्रोल का कृत्रिम उत्पादनः- भंजन (Cracking), समावयवीकरण / चक्रीकरण (आइसोमेरिजेशन), संश्लेषित विधिः * अपस्फोटन, ऑक्टेन संख्या एवं फ्लैश बिन्द ।

4. कार्बो-धात्विक

* कार्बो धात्विक यौगिक परिभाषा और ग्रिगनार्ड अभिकर्मकों की रचना, ग्रिगनार्ड अभिकर्मकों का संश्लेषित उपयोग एवं गुण।


5. संतप्त हाइड्रोकार्बन (Saturated Hydrocarbons)

* संतृप्त हाइड्रोकार्बन (5 कार्बन परमाणुओं तक): नामकरण एवं समावयवता; एल्केन बनाने के सामान्य तरीके; एल्केन के गुण व उपयोग,

* प्रोपेन, ब्यूटेन व पेन्टेन के व्यक्तिगत सदस्य;

* एल्केन के अन्तर रूपान्तरण।


6. असंतप्त हाइड्रोकार्बन (Unsaturated Hydrocarbons)

* नामकरण एवं समावयवता; एल्कीन व एल्काइन बनाने की सामान्य विधियाँ अभिक्रिया के साथ में एल्कीन व एल्काइनों के सामान्य गुण एवं उपयोग;

* प्रोपीन, ब्यूटीन, प्रोपाइन व ब्यूटाइन के व्यक्तिगत सदस्य।


7. क्रियात्मक समूह-ए पर आधारित कार्बनिक रसायन

* हैलाइडस- नामकरण व समावयवता; मोनो एल्किल हैलाइडों के निर्माण की सामान्य विधियां: अभिक्रियाओं के साथ मोनो एल्कील हैलाइड्स के सामान्य गुण; सजातीय डाईहैलोजनों के गुण व बनाने की विधि, एल्कील हैलाइडस के कत्रिम उपयोग,

* हाइड्रोक्सी यौगिक- नामकरण व समावयवता; मोनोहाइड्रिक एल्कोहल का वर्गीकरण मोनोहाइडिक एल्कोहल को बनाने का सामान्य तरीका; मोनो-हाइड्रिक एल्कोहल के सामान्य उपयोग व गणः एल्कोहल में हाइड्रोजन बंध एवं इसका क्वथनांक बिन्दु व विलेयता पर प्रभाव एल्कोहलिक समह के परीक्षण, मेथानोल व एथानोल का आपस में परिवर्तन या रूपांतरण।


8. क्रियात्मक समूह-बी पर आधारित कार्बनिक रसायन

* काबानिल समहः- एल्डिहाइड व कीटोन का नामकरण व समावयवता; एल्डिहाइड व कीटोनर बनाने की सामान्य विधि: अभिक्रिया विधियों के साथ एल्डिहाइड व कीटोन के सामान्य गण व उपयोग; कार्बन-ऑक्सीजन द्विबंध की

ध्रुवता; एल्डिहाइड व कीटोन के परीक्षण; कार्बोक्सिलिक अम्ल बनाने की

* कार्बोक्सिलिक समह- नामकरण व समावयवता, मोनो सामान्य विधि, कार्बोक्सिलिक अम्ल के सामान्य गुण व उपयोग; कार्बोक्सिलिक अम्ल में हाइड्रोजन बंध; अनुनाद।


9. मोनोकार्बोक्सिलिक अम्लों के व्युत्पन्न (Derivatives of Monocarboxylic acid)

* अम्ल व्युत्पन्नों के प्रकार: क्लोराइड अम्ल, एनहाइड्राइड अम्ल, एसिड एमाइड एवं एस्टरस;

* अम्ल व्युत्पन्नों पर कार्बोनिल समूह का प्रभाव;

* एसिटिल क्लोराइड, एसिटिक एनहाइड्राइड, एसिटामाइड एवं इथाइल एसिटेट के गुण व उपयोग।


10. ऐलिपेथिक एमीन (Aliphatic amines)

* नामकरण व समावयवता; प्राथमिक एमीन बनाने की सामान्य विधियों; प्राथमिक एमीन के सामान्य गुण एवं उपयोगः

मिथाइल एमीन व एथिल एमीन बनाने की प्रयोगशाला विधि: मिथाइल एमीन व इथिल एमीन के गुण व उपयोग; * एमीन के परीक्षण।


11. कार्बोनिक एसिड यूरिया के व्युत्पन्न (Derivatives of Carbonic acid Urea)

* यूरिया बनाने की विधियाँ; नयरिया के गण व उपयोग।


12. ऐरोमेटिक यौगिक (Aromatic Compounds)

* ऐरौमेटिक यौगिकों की विशेषताएं: नामकरण व समावयवता;

बैन्जीन वलय में प्रतिस्थापन; बैन्जीन बनाने की विधियाँ, गुण व उपयोग (अभिक्रिया के साथ);

नाइट्रोबैन्जीन बनाने की विधि; नाइट्रोबैन्जीन के गुण व उपयोग; नाइट्रोबैन्जीन का परीक्षण,

एनिलीन बनाने की विधि, गुण व उपयोग; एनिलीन का परीक्षण;

* फीनोल बनाने की विधि, गुण व उपयोग; फीनोल का परीक्षण;

* फीनोल व एल्कोहल में अन्तर।


13. संश्लेषित एवं प्राकृतिक बहुलक (Synthetic & Natural Polymers)

* बहुलकों का वर्गीकरणः

* बहुलकीकरण की सामान्य विधियाँ; मुक्त मूलक; सहबहुलीकरण प्राकृतिक रबड का वल्कनीकरणः संघनन बहुलक;

* महत्वपूर्ण बहुलक जैसे प्राकृतिक रबर, पी.वी.सी., बैकेलाइट, टेरीलोन, टैफ्लॉन, नायलोन।


14. व्यवहारिक रसायन (Chemistry in Action) -

* रंजक: औषधियों में रसायन;

पादप वृद्धि हार्मोनस, फेरोमोन्स;

फर्टिलिटी कोन्ट्रासेप्टिवस एवं बंध्य रसायन यौगिकों में उपयोग

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